स्यामने मुरली मधुर बजाई
Syam ne Murali Madhur Bajae Lyrics
स्यामने मुरली मधुर बजाई ।
सुनत टेर, तनु सुधि बिसारि सब गोपनालिका धाई ।।
लहँगा ओदि, ओढ़ना पहिरे, कंचुकि भूलि पराई ।
नकबेसर डारे स्रवननमहूँ, अदभुत साज सजाई ।।
धेनु सकल तृन चरन बिसारयो ठाढ़ी स्रषन लगाई ।
बलुरनके थन रहे मुखनमहँ सो पय-पान भुलाई ।।
पसु-पंछी जहँ-तहँ रहे ठाढ़े मानो चित्र लिखाई ।
पेड़ पहाड़ प्रेमबस डोले, जड़ चेतनता आई ।।
कालिंदी-प्रबाह नहिं चाल्यो, जलचर सुधि बिसराई ।
ससिकी गति अवरुद्ध, रहे नभ देव बिमानन छाई ।।
धन्य बाँसकी बनी मुरलिया बड़ो पुन्य करि आई ।
सुर-मुनि दुरलभ रुचिर बदन नित राखत स्याम लगाई ।।