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बुधवार, अक्टूबर 8, 2025

बिदुर घर स्याम पाहुने आये | Bidur Ghar Syaam Paahune Aaye

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बिदुर घर स्याम पाहुने आये लीरिक्स

Bidur Ghar Syaam Paahune Aaye Lyrics

बिदुर घर स्याम पाहुने आये ।

नख-सिख दचिररूप मनमोहन, कोटि मदन छबि छाये ॥

बिदुर न हुते घरहिमें तेहि छिन, स्याम पुकारन लागे ।

बिदुर-घरनि नहाति उठि घाई, नैन प्रेमरस पागे ॥

भूली बसन न्हात रहि जेहि थल, तनु सुधि सकल भुलाई ।

बोलति अटपट बचन प्रेमबस, कदरी-फल ले आई ॥

छीलत डारत गूदौ इत-उत, छिलका स्याम खवावै ।

बारहिं बार स्वाद कहि-कहि हरि, प्रमुदित भोग लगावै ॥

तनिक बेर महँ हरि-गुन गावत, बिदुर घरहिं जब आये ।

देखि दरस सो कहत, ‘अहह ! तै छिलका स्याम खवाये ॥

करतें केरा झटकि बिदुर घरनी घरमाहिं पठाई ।

तनु सुधि पाइ सलाज ससंकित, बसन पहिरि चलि आई ॥

बिदुर प्रेमजुत छीलि छीलिकै, केरा हरिहिं खवावै ।

कहत स्याम वह सरस मनोहर स्वाद न इनमइँ आवै ॥

भूखो सदा प्रेमको डोलू भगत जनन गृह जाऊँ।

पाइ प्रेमजुत अमिय पदारथ, खात न कबहुँ अधाऊँ ।।

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