तू भाइ म्हारो रे म्हारो
Too Bhai Mhaaro Re Mhaaro
तू भाइ म्हारो रे म्हारो । तूं म्हारो, तेरो सब म्हारो, जग सारो ही म्हारो ।।
मनमैं सदा दूसरो समझै ऊपरसें कह थारो । म्हारो होता साँता भी सो रहे म्हारैसैं न्यारो ।।
एक बार जो कपट छोड़कर कहै ‘नाथ मैं थारो’ । सो म्हारे सगळाँ पुतराँमें अधिक लाडलो म्हारो ।।
सदा पातकी, सदा कुकरमी, विषयाँमै मतवारो । ‘मैं यारो’ यूँ साचें मनसैं, कहताँ ही हो म्हारो ।।
झटपट पुन्यवान सो होवै, पापाँसें छुटकारो । म्हारो म्हारी गोद बिराजै, कदे न म्हाँयूँ न्यारो ।।
तन-मन-बाणीसैं जो म्हारो, सो निस्वे ही म्हारो । कदे न लाज्यो, कदे न लाजे, नाँव-बिडद-जस म्हारो ।।