और सब भूल भलेही श्रीहरिनाम न भूल
Aur Sab Bhool Bhalehi Sriharinam Na Bhool
और सब भूल भलेही, श्रीहरिनाम न भूल ।।
श्रीहरिनाम सुधामय सबके हित, सबके अनुकूल ।
श्रीहरिनाम-भजनतें पहुँचत भवसागर पर-कूल ||
रोग, सोग, संताप, पाप सब, जैसे सूखी तूल ।
भगवन्नाम प्रबल पावकतें जरै सकल जड़मूल ।।
जिन्ह हरिनाम भजन नहिं कीन्हों, जीवन तिनको धूल ।
भक्ति-रसाल मिलै नहि कबहूँ, बोये बिषय-बबूल ||
श्रीहरिनाम भयो जिनके मन जग-जीवनको मूल ।
तिन्हको धन्य जगतमहँ जीवन पातक-पथ-प्रतिकूल ।।



