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बुधवार, नवम्बर 5, 2025

भूल जगके विषयनकों जप मन हरिको नाम Bhool Jagake Vishayanakon Jap Man Hariko Naam

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भूल जगके विषयनकों जप मन हरिको नाम

Bhool Jagake Vishayanakon Jap Man Hariko Naam

भूल जगके विषयनकों, जप मन हरिको नाम ॥

दीनबंधु हरि करुनासागर, पतितनके विश्राम ।

आपद-अंधकारमहँ श्रीहर्हार पूरनचंद्र ललाम ||

पाप-ताप सब मिटैं नामतें, नास होहिं सब काम ।

जमके दूत भयातुर भार्गे, सुनत नाम सुखधाम ।।

भाग्यवान जे जपत निरंतर नाम, सदा निष्काम ।

निरख सुखी सत्वर हों मूरति हरिकी जग-अभिराम ।।

भाग्यहीन जिन्हके मन-मुखमहँ बसत न हरिको नाम ।

नरकरूप जग जीवन तिन्हको भूमिभार अध-धाम ॥

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