प्रभु तव चरन किमि परिहरौं – प्रार्थना
Prabhu Tav Charan Kimi Pariharaun Lyrics
प्रभु तव चरन किमि परिहरौं ।
ये चरन मोहि परम प्यारे, छिन न इनते टरौं ॥
जिन पदनकी अमित महिमा, वेद-सुर-मुनि कर्दै ।
दास संतत करत अनुभव, रहत निसिदिन गर्दै ।।
परसि जिनको सिला तेहि छिन बनी सुंदरि नारि ।
घरनि मुनिबरकी अहिल्या, सकौं केहि विधि टारि ।।
इन पदन सम सरन असरन दूसरों कोउ नाहि ।
होइ जा कोउ तुम बतावहु, धाइ पकरौं ताहि ।।
और विधि नद्दि टरों टारया, होइ साध्य सु करौं ।
जलजगत मकरंद अलि ज्यों, मनहि चरनन्हि धरौं ।॥



