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मंगलवार, दिसम्बर 2, 2025

साँवलियाकी चेरी कहाँ री | Sanvaliyake Cheri Kahan Re

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साँवलियाकी चेरी कहाँ री  – राग दुर्गा – ताल झप

।।टेक।।

साँवलियाकी चेरी कहाँ री ॥

चाहे मारौ चहै जिवाबौ, जनम जनम नहिं टेक तजौ री ।

कर गहि लियौ कहत हौं साँची, नहिं माने तो तेरी सौं री ॥

जो त्रिभुवन ऐश्वर्य लुभावै, तिनका लौं हौं सो समुझौं री ।

जुगलप्रिया सुन मेरी सजनी, प्रगट भई अत्र नाहिन चोरी ॥

 


Sanvaliyake Cheri Kahan Re – Raag Durga – Taal Jhap

Saanvaliyaakee Cheree Kahaan Ree .

Chaahe Maarau Chahai Jivaabau, Janam Janam Nahin Tek Tajau Ree .

Kar Gahi Liyau Kahat Haun Saanchee, Nahin Maane to Teree Saun Ree .

Jo Tribhuvan Aishvary Lubhaavai, Tinaka Laun Haun so Samujhaun Ree .

Jugalapriya Sun Meree Sajanee, Pragat Bhee Atr Naahin Choree .

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