कुर्म अवतार Kurma Avatar
कूर्म (संस्कृत: कूर्म, शाब्दिक अर्थ ‘कछुआ’) हिंदू धर्म के प्रमुख देवता विष्णु का दूसरा अवतार है। वैदिक साहित्य जैसे यजुर्वेद में कूर्म का उल्लेख सप्तऋषि कश्यप के पर्याय के रूप में होता है। कूर्म को विशेष रूप से उत्तर-वैदिक साहित्य जैसे पुराणों में प्रमुखता से देखा जाता है।
समुद्र मंथन और कुर्म अवतार की भूमिका
समुद्र मंथन की कथा में, जिसे क्षीर सागर मंथन के रूप में भी जाना जाता है, कूर्म की महत्वपूर्ण भूमिका है। देवताओं और असुरों के बीच अमृत प्राप्त करने के लिए हुए इस मंथन में, मंदार पर्वत को मथानी के रूप में प्रयोग किया गया था। जब यह पर्वत समुद्र में डूबने लगा, तब विष्णु ने कूर्म अवतार लेकर अपने विशाल कछुए के रूप में पर्वत को अपने कवच पर धारण किया और मंथन को सफल बनाया।
कूर्म और अकुपारा
कूर्म का पर्याय अकुपारा भी है, जो विश्व-कछुए के रूप में प्रसिद्ध है। इस विश्व-कछुए ने अपने कवच पर पूरी पृथ्वी को धारण किया हुआ है। कूर्म को विष्णु के दशावतार में दूसरा स्थान प्राप्त है, जो उनके दस प्रमुख अवतारों में से एक है।