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वैष्णो देवी की आरती

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कथा के अनुसार, माता ने मानवता के कल्याण के लिए धरती पर अवतार लिया। त्रेतायुग के दौरान, उन्होंने भगवान राम से भी भेंट की थी और कलयुग में एक गुफा में निवास करने का वचन दिया था। दूसरी कथा के अनुसार, भैरवनाथ नामक एक राक्षस माता वैष्णो देवी का पीछा करता था, जिससे बचने के लिए उन्होंने त्रिकूट पर्वत की गुफा में शरण ली। माता ने अंततः भैरवनाथ का वध किया, लेकिन मरते समय उसे मोक्ष का वरदान भी दिया। यही कारण है कि माता के दर्शन के बाद श्रद्धालु भैरवनाथ मंदिर के दर्शन भी करते हैं, जिससे उनकी यात्रा पूरी मानी जाती है।

Vaishno Devi Ki Aarti

जय वैष्णवी माता, मैया जय वैष्णवी माता।
द्वार तुम्हारे जो भी आता, बिन माँगे सबकुछ पा जाता॥

तू चाहे जो कुछ भी कर दे, तू चाहे तो जीवन दे दे।
राजा रंग बने तेरे चेले, चाहे पल में जीवन ले ले॥


मौत-ज़िंदगी हाथ में तेरे मैया तू है लाटां वाली।
निर्धन को धनवान बना दे मैया तू है शेरा वाली॥


पापी हो या हो पुजारी, राजा हो या रंक भिखारी।
मैया तू है जोता वाली, भवसागर से तारण हारी॥


तू ने नाता जोड़ा सबसे, जिस-जिस ने जब तुझे पुकारा।
शुद्ध हृदय से जिसने ध्याया, दिया तुमने सबको सहारा॥


मैं मूरख अज्ञान अनारी, तू जगदम्बे सबको प्यारी।
मन इच्छा सिद्ध करने वाली, अब है ब्रज मोहन की बारी॥

सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी, तेरा पार न पाया।
पान, सुपारी, ध्वजा, नारियल ले तेरी भेंट चढ़ाया॥


सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी, तेरा पार न पाया।
सुआ चोली तेरे अंग विराजे, केसर तिलक लगाया।

ब्रह्मा वेद पढ़े तेरे द्वारे, शंकर ध्यान लगाया।
नंगे पांव पास तेरे अकबर सोने का छत्र चढ़ाया।


ऊंचे पर्वत बन्या शिवाली नीचे महल बनाया॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी, तेरा पार न पाया।


सतयुग, द्वापर, त्रेता, मध्ये कलयुग राज बसाया।
धूप दीप नैवेद्य, आरती, मोहन भोग लगाया।


ध्यानू भक्त मैया तेरा गुणभावे, मनवांछित फल पाया॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी, तेरा पार न पाया।

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