40.7 C
Gujarat
गुरूवार, अप्रैल 24, 2025

श्री बगलामुखी चालीसा

Post Date:

Shri Baglamukhi Chalisa

हिंदू धर्म में मां बगलामुखी एक अत्यंत शक्तिशाली और पूजनीय देवी हैं, जो दस महाविद्याओं में आठवें स्थान पर आती हैं। इन्हें युद्ध और शत्रु नाश की देवी के रूप में जाना जाता है। श्री बगलामुखी चालीसा इनकी भक्ति और स्तुति के लिए एक महत्वपूर्ण मंत्र है, जो भक्तों को शक्ति, सुरक्षा और समृद्धि प्रदान करता है। इस लेख में हम श्री बगलामुखी चालीसा के बारे में विस्तार से जानेंगे, जिसमें इसके अर्थ, लाभ, पाठ विधि और महिमा शामिल हैं।

श्री बगलामुखी चालीसा का परिचय

श्री बगलामुखी चालीसा एक 40-verse का भक्ति गीत है, जो मां बगलामुखी की महिमा का वर्णन करता है। यह चालीसा भक्तों को उनके जीवन के संकटों से मुक्ति दिलाने, शत्रुओं का नाश करने और आध्यात्मिक शांति प्रदान करने के लिए लिखी गई है। चालीसा का हर श्लोक मां की शक्तियों और उनके प्रति श्रद्धा को व्यक्त करता है। इसे नियमित रूप से पाठ करने से मां की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।

Shri Baglamukhi Chalisa

॥ दोहा ॥

सिर नवाइ बगलामुखी, लिखूँ चालीसा आज।
कृपा करहु मोपर सदा, पूरन हो मम काज ॥

॥ चौपाई ॥

जय जय जय श्री बगला माता, आदिशक्ति सब जग की त्राता।
बगला सम तब आनन माता, एहि ते भयउ नाम विख्याता ।

शशि ललाट कुण्डल छवि न्यारी, अस्तुति करहिं देव नर-नारी।
पीतवसन तन पर तव राजै, हाथहिं मुद्गर गदा विराजै।

तीन नयन गल चम्पक माला, अमित तेज प्रकटत है भाला।
रत्न-जटित सिंहासन सोहै, शोभा निरखि सकल जन मोहै।

आसन पीतवर्ण महरानी, भक्तन की तुम हो वरदानी।
पीताभूषण पीतहिं चन्दन, सुर नर नाग करत सब वन्दन ।

एहि विधि ध्यान हृदय में राखै, वेद पुराण सन्त अस भाखै।
अब पूजा विधि करौं प्रकाशा, जाके किये होत दुख-नाशा ।

प्रथमहिं पीत ध्वजा फहरावै, पीतवसन देवी पहिरावै।
कुंकुम अक्षत मोदक बेसन, अबिर गुलाल सुपारी चन्दन।

माल्य हरिद्रा अरु फल पाना, सबहिं चढ़इ धेरै उर ध्याना।
धूप दीप कर्पूर की बाती, प्रेम-सहित तब करै आरती।

अस्तुति करै हाथ दोउ जोरे, पुरवहु मातु मनोरथ मोरे।
मातु भगति तब सब सुख खानी, करहु कृपा मोपर जनजानी।

त्रिविध ताप सब दुःख नशावहु, तिमिर मिटाकर ज्ञान बढ़ावहु ।
बार-बार मैं बिनवउँ तोहीं, अविरल भगति ज्ञान दो मोहीं।

पूजनान्त में हवन करावै, सो नर सर्षप होम करै जो कोई,
ताके मनवांछित फल पावै। वश सचराचर होई।

तिल तण्डुल संग क्षीर मिरावै, भक्ति प्रेम से हवन करावै।
दुःख दरिद्र व्यापै नहिं सोई, निश्चय सुख-संपति सब होई।

फूल अशोक हवन जो करई, ताके गृह सुख-सम्पति भरई।
फल सेमर का होम करीजै, निश्चय वाको रिपु सब छीजै।

गुग्गुल घृत होमै जो कोई, तेहि के वश में राजा होई।
गग्गुल तिल सँग होम करावै, ताको सकल बन्ध कट जावै ।

बीजाक्षर का पाठ जो करहीं, बीजमन्त्र तुम्हरो उच्चरहीं।
एक मास निशि जो कर जापा, तेहि कर मिटत सकल सन्तापा ।

घर की शुद्ध भूमि जहँ होई, साधक जाप करै तहँ सोई।
सोइ इच्छित फल निश्चय पावै, यामे नहिं कछु संशय लावै।

अथवा तीर नदी के जाई, साधक जाप करै मन लाई।
दस सहस्र जप करै जो कोई, सकल काज तेहि कर सिधि होई।

जाप करै जो लक्षहिं बारा, ताकर होय सुयश विस्तारा।
जो तव नाम जपै मन लाई, अल्पकाल महँ रिपुहिं नसाई।

सप्तरात्रि जो जापहिं नामा, वाको पूरन हो सब कामा।
नव दिन जाप करे जो कोई, व्याधि रहित ताकर तन होई।

ध्यान करै जो बन्ध्या नारी, पावै पुत्रादिक फल चारी।
प्रातः सायं अरु मध्याना, धरे ध्यान होवै कल्याना।

कहँ लगि महिमा कहौं तिहारी, नाम सदा शुभ मंगलकारी।
पाठ करै जो नित्य चालीसा, तेहि पर कृपा करहिं गौरीशा।

॥ दोहा ॥

सन्तशरण को तनय हूँ, कुलपति मिश्र सुनाम।
हरिद्वार मण्डल बसूँ, धाम हरिपुर ग्राम ॥
उन्नीस सौ पिचानबे सन् की, श्रावण शुक्ला मास।
चालीसा रचना कियौं, तव चरणन को दास ॥

मां बगलामुखी का स्वरूप और महत्व

मां बगलामुखी का स्वरूप अत्यंत दिव्य और प्रभावशाली है। वे पीताम्बर (पीले वस्त्र) धारण करती हैं और उनके हाथों में मुद्गर और पाश होता है, जो शत्रुओं का नाश और उनके नियंत्रण का प्रतीक है। उनके तीन नेत्र और सोने के आभूषण उनके तेज और शक्ति को दर्शाते हैं। माना जाता है कि इन्होंने ब्रह्मांड के तूफान को शांत किया था, जिसके कारण भगवान विष्णु ने उनकी पूजा की थी।

मां बगलामुखी की पूजा मुख्य रूप से शत्रु नाश, वाक्सिद्धि, और वाद-विवाद में विजय के लिए की जाती है। वे अपने भक्तों को अज्ञात भय से मुक्ति दिलाती हैं और जीवन को निष्कंटक बनाती हैं। हल्दी और पीले रंग का विशेष महत्व उनकी पूजा में है, क्योंकि इनका रंग उनके पीताम्बर स्वरूप से मेल खाता है।

चालीसा के लाभ

श्री बगलामुखी चालीसा का नियमित पाठ करने से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:

  • शत्रु नाश: जो भक्त सच्चे मन से चालीसा का पाठ करते हैं, उनके शत्रु स्वतः ही परास्त हो जाते हैं।
  • आध्यात्मिक शांति: यह चालीसा मन को शांति प्रदान करती है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है।
  • सफलता और समृद्धि: मां की कृपा से भक्त को धन, यश और सिद्धि प्राप्त होती है।
  • भय और रोग से मुक्ति: अज्ञात भय और बीमारियों से छुटकारा मिलता है।
  • वशीकरण और सम्मोहन: यह चालीसा वशीकरण और सम्मोहन शक्ति भी प्रदान करती है, जिससे भक्त अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।

चालीसा का पाठ विधि

चालीसा का पाठ करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करना चाहिए:

  • दिशा: पाठ के दौरान दक्षिण दिशा की ओर मुख करें।
  • शुद्धता: सुबह स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को शुद्ध करें।
  • स्थान: घर की शुद्ध भूमि या नदी के तट पर बैठकर पाठ करें। पीले रंग का आसन उपयोगी होता है।
  • सामग्री: पीले फूल, हल्दी, अक्षत, धूप-दीप, और मिठाई मां को अर्पित करें।
  • मंत्र जाप: रुद्राक्ष की माला से कम से कम 1 माला या 108 बार चालीसा का पाठ करें।

श्री बगलामुखी चालीसा न केवल एक धार्मिक मंत्र है, बल्कि यह भक्तों के जीवन में सकारात्मकता और सुरक्षा का मार्ग प्रशस्त करता है। यह चालीसा मां की कृपा से शत्रुओं का नाश, भय का अंत, और समृद्धि का द्वार खोलती है। जो भक्त सच्चे मन से इस चालीसा का पाठ करते हैं, उन्हें मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

350+ प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स | 350+ Motivational Quotes in Hindi

350+ प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स | 350+ Motivational Quotes in...

मारुती स्तोत्र

Maruti Stotraमारुति स्तोत्र भगवान हनुमान को समर्पित एक लोकप्रिय...

सूर्य आरती

Surya Dev Aarti सूर्य आरती हिंदू धर्म में सूर्य देव...

विघ्ननिवारकं सिद्धिविनायक स्तोत्रम्

Vighna Nivarakam Siddhivinayaka Stotramविघ्ननिवारकं सिद्धिविनायक स्तोत्रम् भगवान गणेश को...