26.8 C
Gujarat
शनिवार, दिसम्बर 13, 2025

रश्मिरथी – षष्ठ सर्ग – भाग 13 | Rashmirathi Sixth Sarg Bhaag 13

Post Date:

रश्मिरथी – षष्ठ सर्ग – भाग 13 | Rashmirathi Sixth Sarg Bhaag 13

वह काल-सर्पिणी की जिह्वा,
वह अटल मृत्यु की सगी स्वसा,
घातकता की वाहिनी, शक्ति
यम की प्रचण्ड, वह अनल-रसा,
लपलपा आग-सी एकघ्नी
तूणीर छोड़ बाहर आयी,
चाँदनी मन्द पड़ गयी, समर में
दाहक उज्जवलता छायी।

कर्ण ने भाग्य को ठोंक उसे,
आखिर दानव पर छोड़ दिया,
विह्ल हो कुरूपति को विलोक,
फिर किसी ओर मुख मोड़ लिया।
उस असुर-प्राण को बेध, दृष्टि
सबकी क्षर भर त्रासित करके,
एकघ्नी ऊपर लीन हुई,
अम्बर को उद्धभासित करके।

पा धमक, धरा धँस उछल पड़ी,
ज्यों गिरा दस्यु पर्वताकार,
‘‘हा ! हा !’’ की चारों ओर मची,
पाण्डव दल में व्याकुल पुकार।
नरवीर युधिष्ठिर, नकुल, भीम
रह सके कहीं कोई न धीर,
जो जहाँ खड़े थे, लगे वहीं
करने कातर क्रन्दन गंभीर।

सारी सेना थी चीख रही,
सब लोग व्यग्र बिलखाते थे;
पर बड़ी विलक्षण बात !
हँसी नटनागर रोक न पाते थे।
टल गयी विपद् कोई सिर से,
या मिली कहीं मन-ही-मन जय,
क्या हुई बात ? क्या देख हुए
केशव इस तरह विगत-संशय ?

लेकिन समर को जीत कर,
निज वाहिनी को प्रीत कर,
वलयित गहन गुन्जार से,
पूजित परम जयकार से,
राधेग संगर से चला, मन में कहीं खोया हुआ,
जय-घोष की झंकार से आगे कहीं सोया हुआ

हारी हुई पाण्डव-चमू में हँस रहे भगवान् थे,
पर जीत कर भी कर्ण के हारे हुए-से प्राण थे
क्या, सत्य ही, जय के लिए केवल नहीं बल चाहिए
कुछ बुद्धि का भी घात; कुछ छल-छù-कौशल चाहिए
क्या भाग्य का आघात है !
कैसी अनोखी बात है ?

मोती छिपे आते किसी के आँसुओं के तार में,
हँसता कहीं अभिशाप ही आनन्द के उच्चार में।
मगर, यह कर्ण की जीवन-कथा है,
नियति का, भाग्य का इंगित वृथा है।
मुसीबत को नहीं जो झेल सकता,
निराशा से नहीं जो खेल सकता,
पुरूष क्या, श्रृंखला को तोड़ करके,
चले आगे नहीं जो जोर करके ?

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

अष्टादश शक्तिपीठ स्तोत्रम्

अष्टादश शक्तिपीठ स्तोत्रम्अष्टादश शक्तिपीठ स्तोत्रम् एक अत्यंत पवित्र...

लक्ष्मी शरणागति स्तोत्रम्

लक्ष्मी शरणागति स्तोत्रम्लक्ष्मी शरणागति स्तोत्रम् (Lakshmi Sharanagati Stotram) एक...

विष्णु पादादि केशांत वर्णन स्तोत्रं

विष्णु पादादि केशांत वर्णन स्तोत्रंलक्ष्मीभर्तुर्भुजाग्रे कृतवसति सितं यस्य रूपं...

द्वादश ज्योतिर्लिंङ्ग स्तोत्रम्

द्वादश ज्योतिर्लिंङ्ग स्तोत्रम्द्वादशज्योतिर्लिंगस्तोत्र एक प्रसिद्ध स्तोत्र है जिसमें भगवान...
error: Content is protected !!