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रविवार, फ़रवरी 23, 2025

महाशाश्ता अनुग्रह कवचम्

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Maha Shastha Anugraha Kavacham

महाशाश्ता अनुग्रह कवचम् एक अत्यंत शक्तिशाली स्तोत्र है, जो भगवान शाश्ता (धर्म शाश्ता) की कृपा प्राप्त करने के लिए पाठ किया जाता है। यह कवचम् उन भक्तों के लिए विशेष रूप से फलदायी माना जाता है जो भगवान अय्यप्पा, हरिहरपुत्र (भगवान शिव और विष्णु के संयुक्त स्वरूप) की उपासना करते हैं। इस स्तोत्र का पाठ करने से साधक को आध्यात्मिक शक्ति, सुरक्षा, एवं जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है।

भगवान शाश्ता का स्वरूप

भगवान शाश्ता को दक्षिण भारत में विशेष रूप से पूजा जाता है। वे हरिहरपुत्र माने जाते हैं, अर्थात् वे भगवान शिव और भगवान विष्णु (मोहिनी रूप) के पुत्र हैं। शाश्ता देवता के प्रमुख रूपों में अय्यप्पा स्वामी, धर्म शाश्ता, और शंभुशाश्ता आते हैं।

भगवान शाश्ता का मुख्य कार्य धर्म की रक्षा और भक्तों को अभय देना है। उनकी पूजा करने से भक्तों को शत्रु बाधा, रोग, एवं नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्ति मिलती है।

महाशाश्ता अनुग्रह कवचम् का महत्व

महाशाश्ता अनुग्रह कवचम् विशेष रूप से भगवान शाश्ता की कृपा प्राप्त करने के लिए रचा गया है। इसे नित्य श्रद्धापूर्वक पढ़ने से जीवन में सुख, समृद्धि एवं आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। यह कवच नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है एवं सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है।

इस कवच के पाठ से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:

  1. सुरक्षा एवं अभय – यह कवच साधक को सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों से बचाता है।
  2. संकटों से मुक्ति – जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करता है।
  3. सुख-समृद्धि – भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है।
  4. शत्रु नाशक – यह कवच शत्रुओं से बचाव करने में सहायक है।
  5. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य – मानसिक शांति प्रदान करता है एवं रोगों से रक्षा करता है।

महाशाश्ता अनुग्रह कवचम् के पाठ विधि

  1. स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. शुद्ध वातावरण में दीप जलाकर भगवान शाश्ता की प्रतिमा या चित्र के समक्ष बैठें।
  3. ॐ श्री शाश्त्रेय नमः मंत्र का जाप करें।
  4. महाशाश्ता अनुग्रह कवचम् का श्रद्धापूर्वक पाठ करें।
  5. पाठ समाप्ति के बाद भगवान शाश्ता को प्रसाद अर्पित करें एवं आरती करें।
  6. नित्य पाठ करने से अधिक लाभ प्राप्त होता है।

Maha Shastha Anugraha Kavacham

श्रीदेव्युवाच-
भगवन् देवदेवेश सर्वज्ञ त्रिपुरांतक ।
प्राप्ते कलियुगे घोरे महाभूतैः समावृते ॥ 1

महाव्याधि महाव्याल घोरराजैः समावृते ।
दुःस्वप्नशोकसंतापैः दुर्विनीतैः समावृते ॥ 2

स्वधर्मविरतेमार्गे प्रवृत्ते हृदि सर्वदा ।
तेषां सिद्धिं च मुक्तिं च त्वं मे ब्रूहि वृषद्वज ॥ 3

ईश्वर उवाच-
शृणु देवि महाभागे सर्वकल्याणकारणे ।
महाशास्तुश्च देवेशि कवचं पुण्यवर्धनम् ॥ 4

अग्निस्तंभ जलस्तंभ सेनास्तंभ विधायकम् ।
महाभूतप्रशमनं महाव्याधिनिवारणम् ॥ 5

महाज्ञानप्रदं पुण्यं विशेषात् कलितापहम् ।
सर्वरक्षोत्तमं पुंसां आयुरारोग्यवर्धनम् ॥ 6

किमतो बहुनोक्तेन यं यं कामयते द्विजः ।
तं तमाप्नोत्यसंदेहो महाशास्तुः प्रसादनात् ॥ 7

कवचस्य ऋषिर्ब्रह्मा गायत्रीः छंद उच्यते ।
देवता श्रीमहाशास्ता देवो हरिहरात्मजः ॥ 8

षडंगमाचरेद्भक्त्या मात्रया जातियुक्तया ।
ध्यानमस्य प्रवक्ष्यामि शृणुष्वावहिता प्रिये ॥ 9

अस्य श्री महाशास्तुः कवचमंत्रस्य । ब्रह्मा ऋषिः । गायत्रीः छंदः । महाशास्ता देवता । ह्रां बीजम् । ह्रीं शक्तिः । ह्रूं कीलकम् । श्री महाशास्तुः प्रसाद सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ॥

ह्रां इत्यादि षडंगन्यासः ॥

ध्यानम्-
तेजोमंडलमध्यगं त्रिनयनं दिव्यांबरालंकृतं
देवं पुष्पशरेक्षुकार्मुक लसन्माणिक्यपात्राऽभयम् ।
बिभ्राणं करपंकजैः मदगज स्कंधाधिरूढं विभुं
शास्तारं शरणं भजामि सततं त्रैलोक्य संमोहनम् ॥

महाशास्ता शिरः पातु फालं हरिहरात्मजः ।
कामरूपी दृशं पातु सर्वज्ञो मे श्रुतिं सदा ॥ 1

घ्राणं पातु कृपाध्यक्षः मुखं गौरीप्रियः सदा ।
वेदाध्यायी च मे जिह्वां पातु मे चिबुकं गुरुः ॥ 2

कंठं पातु विशुद्धात्मा स्कंधौ पातु सुरार्चितः ।
बाहू पातु विरूपाक्षः करौ तु कमलाप्रियः ॥ 3

भूताधिपो मे हृदयं मध्यं पातु महाबलः ।
नाभिं पातु महावीरः कमलाक्षोऽवतु कटिम् ॥ 4

सनीपं पातु विश्वेशः गुह्यं गुह्यार्थवित्सदा ।
ऊरू पातु गजारूढः वज्रधारी च जानुनी ॥ 5

जंघे पात्वंकुशधरः पादौ पातु महामतिः ।
सर्वांगं पातु मे नित्यं महामायाविशारदः ॥ 6

इतीदं कवचं पुण्यं सर्वाघौघनिकृंतनम् ।
महाव्याधिप्रशमनं महापातकनाशनम् ॥ 7

ज्ञानवैराग्यदं दिव्यमणिमादिविभूषितम् ।
आयुरारोग्यजननं महावश्यकरं परम् ॥ 8

यं यं कामयते कामं तं तमाप्नोत्यसंशयः ।
त्रिसंध्यं यः पठेद्विद्वान् स याति परमां गतिम् ॥

इति श्री महाशास्ता अनुग्रह कवचम् ।

महाशाश्ता अनुग्रह कवचम् भगवान शाश्ता की कृपा पाने का एक दिव्य माध्यम है। इसके पाठ से साधक के जीवन में सुख-समृद्धि, सुरक्षा एवं आध्यात्मिक उन्नति होती है। जो भी व्यक्ति इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ पढ़ता है, उसे भगवान शाश्ता की असीम अनुकंपा प्राप्त होती है।

यदि आप अपने जीवन में नकारात्मकता से मुक्ति पाना चाहते हैं एवं आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर होना चाहते हैं, तो महाशाश्ता अनुग्रह कवचम् का नित्य पाठ आपके लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो सकता है।

ॐ श्री हरिहरपुत्राय नमः 🙏

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