22.3 C
Gujarat
रविवार, फ़रवरी 23, 2025

श्री वेङ्कटेश्वर स्तोत्रम्

Post Date:

Sri Venkateswara Stotram

श्री वेङ्कटेश्वर स्तोत्रम् भगवान विष्णु के श्री वेङ्कटेश्वर (बालाजी) स्वरूप की स्तुति करने वाला अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है। यह स्तोत्र भक्तों को मानसिक शांति, समृद्धि और जीवन के कष्टों से मुक्ति प्रदान करता है।

श्री वेङ्कटेश्वर स्तोत्रम् का महत्त्व

श्री वेङ्कटेश्वर भगवान तिरुपति बालाजी के रूप में प्रसिद्ध हैं और इन्हें कलियुग के सबसे प्रभावशाली देवता माना जाता है। यह स्तोत्र विशेष रूप से तिरुपति में भगवान बालाजी की पूजा में किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त नित्य भावपूर्वक इस स्तोत्र का पाठ करता है, उसे भगवान श्रीनिवास (वेङ्कटेश्वर) की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

श्री वेङ्कटेश्वर स्तोत्र का पाठ करने के लाभ

श्री वेङ्कटेश्वर स्तोत्रम् के पाठ से कई लाभ प्राप्त होते हैं, जैसे –

  1. धन और समृद्धि में वृद्धि – भगवान वेङ्कटेश्वर को धन का स्वामी कहा जाता है। इस स्तोत्र के पाठ से आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
  2. कष्टों का नाश – यह स्तोत्र मानसिक और शारीरिक कष्टों को दूर करने में सहायक है।
  3. सौभाग्य और सफलता – व्यापार, नौकरी और जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए यह स्तोत्र अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
  4. पापों से मुक्ति – जीवन में किए गए पापों के प्रायश्चित के लिए यह स्तोत्र बहुत प्रभावी है।
  5. संतान प्राप्ति – निःसंतान दंपत्तियों के लिए भी यह स्तोत्र फलदायी माना गया है।
  6. रोगों से मुक्ति – कई भक्तों ने अनुभव किया है कि इस स्तोत्र के पाठ से असाध्य रोग भी दूर हो जाते हैं।

श्री वेङ्कटेश्वर स्तोत्रम् पाठ की विधि

  • इस स्तोत्र का पाठ प्रातःकाल या संध्या के समय स्नान करके, स्वच्छ वस्त्र धारण कर, भगवान श्री वेङ्कटेश्वर की मूर्ति या चित्र के सामने किया जाता है।
  • पाठ करते समय दीपक और अगरबत्ती जलाकर भगवान की आरती करें।
  • श्रद्धा और भक्ति भाव से इस स्तोत्र का पाठ करने से शीघ्र फल की प्राप्ति होती है।

श्री वेङ्कटेश्वर स्तोत्रम् (संस्कृत में)

कमलाकुच चूचुक कुङ्कमतो
नियतारुणि तातुल नीलतनो ।
कमलायत लोचन लोकपते
विजयीभव वेङ्कट शैलपते ॥

सचतुर्मुख षण्मुख पञ्चमुख
प्रमुखा खिलदैवत मौलिमणे ।
शरणागत वत्सल सारनिधे
परिपालय मां वृष शैलपते ॥

अतिवेलतया तव दुर्विषहै
रनु वेलकृतै रपराधशतैः ।
भरितं त्वरितं वृष शैलपते
परया कृपया परिपाहि हरे ॥

अधि वेङ्कट शैल मुदारमते-
र्जनताभि मताधिक दानरतात् ।
परदेवतया गदितानिगमैः
कमलादयितान्न परङ्कलये ॥

कल वेणुर वावश गोपवधू
शत कोटि वृतात्स्मर कोटि समात् ।
प्रति पल्लविकाभि मतात्-सुखदात्
वसुदेव सुतान्न परङ्कलये ॥

अभिराम गुणाकर दाशरधे
जगदेक धनुर्थर धीरमते ।
रघुनायक राम रमेश विभो
वरदो भव देव दया जलधे ॥

अवनी तनया कमनीय करं
रजनीकर चारु मुखाम्बुरुहम् ।
रजनीचर राजत मोमि हिरं
महनीय महं रघुराममये ॥

सुमुखं सुहृदं सुलभं सुखदं
स्वनुजं च सुकायम मोघशरम् ।
अपहाय रघूद्वय मन्यमहं
न कथञ्चन कञ्चन जातुभजे ॥

विना वेङ्कटेशं न नाथो न नाथः
सदा वेङ्कटेशं स्मरामि स्मरामि ।
हरे वेङ्कटेश प्रसीद प्रसीद
प्रियं वेङ्कटॆश प्रयच्छ प्रयच्छ ॥

अहं दूरदस्ते पदां भोजयुग्म
प्रणामेच्छया गत्य सेवां करोमि ।
सकृत्सेवया नित्य सेवाफलं त्वं
प्रयच्छ पयच्छ प्रभो वेङ्कटेश ॥

अज्ञानिना मया दोषा न शेषान्विहितान् हरे ।
क्षमस्व त्वं क्षमस्व त्वं शेषशैल शिखामणे ॥

तिरुपति बालाजी और श्री वेङ्कटेश्वर

श्री वेङ्कटेश्वर का प्रसिद्ध मंदिर आंध्र प्रदेश के तिरुपति में स्थित है, जिसे तिरुमला भी कहा जाता है। यह मंदिर सात पहाड़ियों पर स्थित है और इसे “सप्तगिरी” कहा जाता है। श्री वेङ्कटेश्वर को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है और उनकी मूर्ति स्वयंभू (स्वयं प्रकट) मानी जाती है।

यह मंदिर विश्व के सबसे धनी मंदिरों में से एक है और प्रतिदिन लाखों भक्त यहाँ दर्शन के लिए आते हैं। तिरुपति बालाजी को धन का स्वामी कहा जाता है और उनके दर्शन से जीवन में धन, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

श्री वेङ्कटेश्वर स्तोत्रम् भगवान विष्णु के श्री वेङ्कटेश्वर रूप की स्तुति करने वाला अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है। इसके पाठ से भक्तों को मानसिक शांति, आर्थिक समृद्धि और जीवन के समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है। यह स्तोत्र सरल होते हुए भी अत्यंत प्रभावशाली है और जो व्यक्ति सच्चे मन से इसका नित्य पाठ करता है, उसे भगवान वेङ्कटेश्वर की कृपा अवश्य प्राप्त होती है।

🔹 “गोविंदा गोविंदा!” 🙏

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

Lakshmi Shataka Stotram

Lakshmi Shataka Stotramआनन्दं दिशतु श्रीहस्तिगिरौ स्वस्तिदा सदा मह्यम् ।या...

आज सोमवार है ये शिव का दरबार है

आज सोमवार है ये शिव का दरबार है -...

वाराही कवचम्

Varahi Kavachamवाराही देवी(Varahi kavacham) दस महाविद्याओं में से एक...

श्री हनुमत्कवचम्

Sri Hanumatkavachamश्री हनुमत्कवचम्(Sri Hanumatkavacham) एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है...