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शनिवार, दिसम्बर 13, 2025

बिल्वाष्टकम्

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बिल्वाष्टकम्

बिल्वाष्टकम्(Bilvashtakam) भगवान शिव को समर्पित एक अद्भुत स्तोत्र है, जिसमें बिल्वपत्र के महत्व और भगवान शिव की महिमा का वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र संस्कृत भाषा में रचित है और शिवभक्तों के बीच बहुत लोकप्रिय है। ऐसा माना जाता है कि इस स्तोत्र का पाठ श्रद्धापूर्वक करने से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं और भक्त की समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

बिल्वाष्टकम् का अर्थ और महत्व

“बिल्व” का तात्पर्य बेलपत्र से है, जिसे भगवान शिव का प्रिय माना जाता है। “अष्टक” का अर्थ है आठ श्लोक। इस प्रकार, बिल्वाष्टकम् आठ श्लोकों का संग्रह है, जिसमें बिल्वपत्र की महिमा और उसकी विशेषताओं का वर्णन किया गया है।

शिव पुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों में यह उल्लेख मिलता है कि भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करने से भक्त को पापों से मुक्ति मिलती है और वह मोक्ष प्राप्त करता है। बिल्वाष्टकम् में इस भावना को काव्यात्मक रूप में व्यक्त किया गया है।

बिल्वाष्टकम्

त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रियायुधम् ।
त्रिजन्म पापसंहारं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥

त्रिशाखैः बिल्वपत्रैश्च अच्छिद्रैः कोमलैः शुभैः ।
तवपूजां करिष्यामि एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥

कोटि कन्या महादानं तिलपर्वत कोटयः ।
काञ्चनं शैलदानेन एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥

काशीक्षेत्र निवासं च कालभैरव दर्शनम् ।
प्रयागे माधवं दृष्ट्वा एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥

इन्दुवारे व्रतं स्थित्वा निराहारो महेश्वराः ।
नक्तं हौष्यामि देवेश एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥

रामलिङ्ग प्रतिष्ठा च वैवाहिक कृतं तथा ।
तटाकानिच सन्धानं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥

अखण्ड बिल्वपत्रं च आयुतं शिवपूजनम् ।
कृतं नाम सहस्रेण एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥

उमया सहदेवेश नन्दि वाहनमेव च ।
भस्मलेपन सर्वाङ्गं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥

सालग्रामेषु विप्राणां तटाकं दशकूपयोः ।
यज्ञ्नकोटि सहस्रस्य एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥
दन्ति कोटि सहस्रेषु अश्वमेधशतक्रतौ च ।
कोटिकन्या महादानं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥

बिल्वाणां दर्शनं पुण्यं स्पर्शनं पापनाशनम् ।
अघोर पापसंहारं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥

सहस्रवेद पाटेषु ब्रह्मस्तापनमुच्यते ।
अनेकव्रत कोटीनां एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥

अन्नदान सहस्रेषु सहस्रोपनयनं तधा ।
अनेक जन्मपापानि एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥

बिल्वाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेश्शिव सन्निधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥

विकल्प सङ्कर्पण

त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रियायुधम् ।
त्रिजन्म पापसंहारं एकबिल्वं शिवार्पितम् ॥ १ ॥

त्रिशाखैः बिल्वपत्रैश्च अच्छिद्रैः कोमलैः शुभैः ।
तवपूजां करिष्यामि एकबिल्वं शिवार्पितम् ॥ २ ॥

दर्शनं बिल्ववृक्षस्य स्पर्शनं पापनाशनम् ।
अघोरपापसंहारं एकबिल्वं शिवार्पितम् ॥ ३ ॥

सालग्रामेषु विप्रेषु तटाके वनकूपयोः ।
यज्ञ्नकोटि सहस्राणां एकबिल्वं शिवार्पितम् ॥ ४ ॥

दन्तिकोटि सहस्रेषु अश्वमेध शतानि च ।
कोटिकन्याप्रदानेन एकबिल्वं शिवार्पितम् ॥ ५ ॥

एकं च बिल्वपत्रैश्च कोटियज्ञ्न फलं लभेत् ।
महादेवैश्च पूजार्थं एकबिल्वं शिवार्पितम् ॥ ६ ॥

काशीक्षेत्रे निवासं च कालभैरव दर्शनम् ।
गयाप्रयाग मे दृष्ट्वा एकबिल्वं शिवार्पितम् ॥ ७ ॥

उमया सह देवेशं वाहनं नन्दिशङ्करम् ।
मुच्यते सर्वपापेभ्यो एकबिल्वं शिवार्पितम् ॥ ८ ॥

इति श्री बिल्वाष्टकम् ॥

बिल्वाष्टकम् का लाभ

  1. पापों का नाश: बिल्वाष्टकम् का पाठ और बिल्वपत्र अर्पण करने से व्यक्ति के तीन जन्मों के पाप समाप्त होते हैं।
  2. शिव की कृपा: इस स्तोत्र के माध्यम से भगवान शिव की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
  3. धन-धान्य की वृद्धि: भगवान शिव को प्रसन्न करके जीवन में समृद्धि प्राप्त होती है।
  4. मोक्ष प्राप्ति: यह स्तोत्र व्यक्ति को सांसारिक बंधनों से मुक्त कर मोक्ष प्रदान करता है।
  5. शांति और स्वास्थ्य: बिल्वाष्टकम् का पाठ मानसिक शांति और शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।

पाठ की विधि

  1. सुबह स्नान के बाद साफ वस्त्र पहनकर भगवान शिव के समक्ष बैठें।
  2. बिल्वपत्र लेकर उसे गंगा जल से पवित्र करें।
  3. “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का उच्चारण करते हुए बिल्वपत्र अर्पित करें।
  4. श्रद्धापूर्वक बिल्वाष्टकम् का पाठ करें।

बिल्वाष्टकम् केवल स्तोत्र नहीं, बल्कि भगवान शिव के प्रति भक्त का प्रेम और समर्पण व्यक्त करने का एक साधन है। इसमें हर श्लोक व्यक्ति को अपने कर्तव्यों और धार्मिक आचरण की ओर प्रेरित करता है। शिवभक्त इस स्तोत्र का उपयोग महाशिवरात्रि, सावन के महीने और प्रत्येक सोमवार को विशेष रूप से करते हैं।

इस प्रकार, बिल्वाष्टकम् एक दिव्य स्तोत्र है, जो न केवल भगवान शिव की महिमा का गुणगान करता है, बल्कि भक्त को आत्मिक शुद्धि और जीवन की समस्याओं से मुक्ति प्रदान करता है।

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