गुरु ग्रह स्तोत्रम्(Guru Graha Stotram) एक शक्तिशाली मंत्र है जो गुरु ग्रह (बृहस्पति) की पूजा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कहा जाता है। यह स्तोत्र गुरु के महत्व को उजागर करता है और उनके दिव्य गुणों की सराहना करता है।
आपने जो श्लोक प्रस्तुत किया है, वह गुरु ग्रह के प्रति श्रद्धा और आभार व्यक्त करने वाला है। श्लोक इस प्रकार है:
देवमन्त्री विशालाक्षः सदा लोकहिते रतः।
अनेकशिष्यसम्पूर्णः पीडां हरतु मे गुरुः।
devamantree vishaalaakshah’ sadaa lokahite ratah’.
anekashishyasampoornah’ peed’aam haratu me guruh’.
गुरु ग्रह स्तोत्रम् का अर्थ इस प्रकार है: Meaning of Guru Graha Stotram
- देवमन्त्री: गुरु को देवों के मंत्रियों के रूप में पूजा जाता है। यह शब्द गुरु के उच्चतम स्थान और उनके दिव्य प्रभाव को दर्शाता है।
- विशालाक्षः: गुरु के विशाल नेत्रों का वर्णन किया गया है, जो ज्ञान के स्रोत और सत्य की पहचान हैं। उनकी दृष्टि हर वस्तु पर होती है और वे सभी प्रकार के अज्ञान का नाश करने वाले हैं।
- सदा लोकहिते रतः: गुरु सदा लोकहित में रत रहते हैं, अर्थात वे हमेशा समाज और प्राणियों के कल्याण के लिए कार्य करते हैं।
- अनेकशिष्यसम्पूर्णः: गुरु के पास अनगिनत शिष्य होते हैं और वे सभी को ज्ञान और शिक्षा प्रदान करते हैं।
- पीडां हरतु मे गुरुः: यह श्लोक गुरु से आशीर्वाद की याचना करता है कि वे शिष्य की सभी प्रकार की पीड़ा और कष्टों का नाश करें।
यह श्लोक गुरु के महानतम गुणों का आह्वान करता है और गुरु के प्रति पूर्ण श्रद्धा और भक्ति की भावना को व्यक्त करता है। गुरु का महत्व वैदिक और हिंदू परंपरा में अत्यधिक है, क्योंकि वे न केवल आध्यात्मिक गुरु होते हैं, बल्कि जीवन के हर पहलू में मार्गदर्शन देने वाले होते हैं।
गुरु ग्रह स्तोत्रम् के नियमित जाप से व्यक्ति की मानसिक पीड़ा कम होती है और वह जीवन में सफलता प्राप्त करता है। यह श्लोक किसी भी संकट, मानसिक असंतुलन, या गुरु के आशीर्वाद की आवश्यकता होने पर मंत्र रूप में जपने के लिए उपयोगी है।
गुरु ग्रह स्तोत्रम् पर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs for Guru Graha Stotram)
गुरु ग्रह स्तोत्रम् क्या है?
गुरु ग्रह स्तोत्रम् एक धार्मिक और आध्यात्मिक स्तोत्र है, जो विशेष रूप से गुरु ग्रह (बृहस्पति) की पूजा और सम्मान के लिए रचा गया है। यह स्तोत्र गुरु ग्रह के आशीर्वाद को प्राप्त करने और उनकी कृपा को आकर्षित करने के लिए उच्चारण किया जाता है। इसमें गुरु ग्रह के शुभ प्रभाव और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए मंत्रों का जाप किया जाता है।
गुरु ग्रह स्तोत्रम् का पाठ कब करना चाहिए?
गुरु ग्रह स्तोत्रम् का पाठ विशेष रूप से गुरुवार के दिन करना शुभ माना जाता है, क्योंकि गुरुवार गुरु ग्रह का दिन है। इसके अलावा, जब किसी व्यक्ति की कुंडली में गुरु ग्रह कमजोर होता है या वह किसी प्रकार के मानसिक और आर्थिक संकट से गुजर रहा होता है, तो यह स्तोत्र उन समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए भी पाठ किया जा सकता है।
गुरु ग्रह स्तोत्रम् के पाठ से क्या लाभ होते हैं?
गुरु ग्रह स्तोत्रम् का नियमित पाठ व्यक्ति को मानसिक शांति, बुद्धि में वृद्धि, और जीवन में समृद्धि प्रदान करता है। इसके माध्यम से व्यक्ति गुरु ग्रह के आशीर्वाद से अपनी समस्याओं का समाधान पा सकता है, जैसे कि शिक्षा, करियर, और स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं। यह व्यक्ति को आंतरिक संतुलन और समर्पण की भावना भी देता है।
गुरु ग्रह स्तोत्रम् के कितने श्लोक होते हैं?
गुरु ग्रह स्तोत्रम् में कुल 10 श्लोक होते हैं। प्रत्येक श्लोक गुरु ग्रह के विभिन्न गुणों और प्रभावों की महिमा का वर्णन करता है। इन श्लोकों का उच्चारण करने से गुरु ग्रह के अनुकूल प्रभाव बढ़ सकते हैं और जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं।
गुरु ग्रह स्तोत्रम् का पाठ करने के लिए क्या विशेष ध्यान रखना चाहिए?
गुरु ग्रह स्तोत्रम् का पाठ करते समय व्यक्ति को मानसिक रूप से शुद्ध और एकाग्र होना चाहिए। साथ ही, गुरु ग्रह की उपासना के लिए पीले वस्त्र पहनना और पीले रंग का भोजन करना भी शुभ माना जाता है। पाठ के दौरान शांति और ध्यान का माहौल होना चाहिए, ताकि मंत्रों का प्रभाव अधिक हो।