चंद्र ग्रहण दोष निवारण स्तोत्रम्(Chandra Grahana Dosha Nivarana Stotram) एक महत्वपूर्ण शास्त्र है जिसे विशेष रूप से चंद्र ग्रहण के दौरान ग्रहण दोष से बचाव और निवारण के लिए पूजा पाठ में किया जाता है। यह स्तोत्र चंद्र ग्रहण के प्रभाव को कम करने के लिए विभिन्न मंत्रों और श्लोकों का संग्रह है। चंद्र ग्रहण का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में मानसिक अशांति, दुख, और नकारात्मकता का कारण बन सकता है, और यह स्तोत्र इन प्रभावों को शांत करने का कार्य करता है।
चंद्र ग्रहण दोष निवारण स्तोत्रम् का महत्व Importance of Chandra Grahana Dosha Nivarana Stotram
- चंद्र ग्रहण और उसका प्रभाव:
चंद्र ग्रहण उस समय होता है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, और पृथ्वी का छाया चंद्रमा पर पड़ता है। यह एक खगोलीय घटना है, और शास्त्रों के अनुसार, जब ग्रहण लग रहा हो, तो वह व्यक्ति के जीवन में मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक समस्याओं का कारण बन सकता है। - दोष निवारण:
इस स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से चंद्र ग्रहण के समय किया जाता है ताकि ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव से बचा जा सके। यह स्तोत्र विशेष रूप से चंद्रमा के अशुभ प्रभाव को शांत करने में सहायक होता है और व्यक्ति के जीवन में शांति और समृद्धि लाने का प्रयास करता है। - प्रभाव:
चंद्र ग्रहण दोष निवारण स्तोत्र का नियमित पाठ मानसिक शांति, समृद्धि, और सकारात्मकता को बढ़ावा देता है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है जिनकी कुंडली में चंद्रमा से संबंधित दोष हैं, जैसे कि चंद्र दोष, चंद्रमा की नीच स्थिति या चंद्र ग्रहण का प्रभाव।
चंद्र ग्रहण दोष निवारण स्तोत्रम् का पाठ कैसे करें?
- समय और स्थान:
- चंद्र ग्रहण के दिन इस स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से किया जाता है। यदि ग्रहण नहीं हो रहा है, तो भी चंद्रमा के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए इसे नियमित रूप से पढ़ा जा सकता है। इस स्तोत्र का पाठ किसी शुद्ध स्थान पर, स्वच्छ मन और विचारों के साथ करना चाहिए।
- मंत्र जप:
- इस स्तोत्र में चंद्रमा से संबंधित विशेष मंत्र होते हैं जिन्हें जपना चाहिए। इनमें से कुछ मंत्रों का जाप चंद्र ग्रहण के समय या ग्रहण के प्रभाव को कम करने के लिए किया जाता है।
- उपचार:
- इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति की मानसिक स्थिति में सुधार आता है और वह शांति का अनुभव करता है। साथ ही, यह स्तोत्र जीवन में खुशियों और सकारात्मकता का संचार करता है।
चंद्र ग्रहण दोष निवारण स्तोत्रम् के लाभ: Benifits of Chandra Grahana Dosha Nivarana Stotram
- मानसिक शांति:
- चंद्र ग्रहण के समय मानसिक अशांति का सामना करना पड़ सकता है। इस स्तोत्र का पाठ मानसिक शांति प्रदान करता है।
- दृष्टि और विवेक में सुधार:
- चंद्र ग्रहण के दौरान कुछ लोग भ्रमित और असमंजस में रहते हैं। यह स्तोत्र विवेक और सही दिशा में सोचने की क्षमता को बढ़ाता है।
- आध्यात्मिक उन्नति:
- चंद्र ग्रहण दोष निवारण स्तोत्र का नियमित पाठ व्यक्ति के आध्यात्मिक जीवन को मजबूत करता है और उसे आत्मज्ञान की ओर अग्रसर करता है।
- शरीरिक और मानसिक स्वास्थ्य:
- चंद्र ग्रहण का प्रभाव शरीर और मानसिक स्थिति पर भी पड़ता है। यह स्तोत्र स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए भी लाभकारी माना जाता है।
चंद्र ग्रहण दोष निवारण स्तोत्रम् के कुछ प्रमुख श्लोक:
यह स्तोत्र विशेष रूप से चंद्र ग्रहण के समय पढ़े जाने वाले श्लोकों और मंत्रों का संग्रह है। इनमें से कुछ श्लोक इस प्रकार हो सकते हैं:
- ॐ क्लीं सोमाय नमः
इस मंत्र का जाप चंद्र ग्रहण के दौरान किया जाता है, जो चंद्र दोष को शांत करने में मदद करता है। - ॐ चन्द्रे शान्ति प्रदाय नमः
यह श्लोक चंद्रमा के अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है। - ॐ नमः चन्द्राय रात्रि वासाय शुभाय नमः
इस मंत्र का जाप चंद्रमा के शांतिपूर्ण और शुभ प्रभाव को आकर्षित करने के लिए किया जाता है।
चंद्र ग्रहण दोष निवारण स्तोत्रम् का पाठ Chandra Grahana Dosha Nivarana Stotram
योऽसौ वज्रधरो देव आदित्यानां प्रभुर्मतः।
सहस्रनयनश्चन्द्र- ग्रहपीडां व्यपोहतु।
मुखं यः सर्वदेवानां सप्तार्चिरमितद्युतिः।
चन्द्रोपरागसम्भूतामग्निः पीडां व्यपोहतु।
यः कर्मसाक्षी लोकानां यमो महिषवाहनः।
चन्द्रोपरागसम्भूतां ग्रहपीडां व्यपोहतु।
रक्षोगणाधिपः साक्षात् प्रलयानिलसन्निभः।
करालो निर्ऋतिश्चन्द्रग्रहपीडां व्यपोहतु।
नागपाशधरो देवो नित्यं मकरवाहनः।
सलिलाधिपतिश्चन्द्र- ग्रहपीडां व्यपोहतु।
प्राणरूपो हि लोकानां वायुः कृष्णमृगप्रियः।
चन्द्रोपरागसम्भूतां ग्रहपीडां व्यपोहतु।
योऽसौ निधिपतिर्देवः खड्गशूलधरो वरः।
चन्द्रोपरागसम्भूतं कलुषं मे व्यपोहतु।
योऽसौ शूलधरो रुद्रः शङ्करो वृषवाहनः।
चन्द्रोपरागजं दोषं विनाशयतु सर्वदा।
चंद्र ग्रहण दोष निवारण स्तोत्रम् पर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs for Chandra Grahana Dosha Nivarana Stotram
चंद्र ग्रहण दोष निवारण स्तोत्रम् क्या है?
चंद्र ग्रहण दोष निवारण स्तोत्रम् एक धार्मिक पाठ है जो चंद्र ग्रहण से संबंधित दोषों को समाप्त करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह स्तोत्र देवी-देवताओं के नाम और उनकी स्तुति से भरपूर होता है, जिसे ग्रहण के समय या उसके बाद पाठ करने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है और दोषों का निवारण होता है।
चंद्र ग्रहण दोष निवारण स्तोत्रम् का पाठ कब करना चाहिए?
इस स्तोत्र का पाठ चंद्र ग्रहण के समय, ग्रहण समाप्त होने के तुरंत बाद, या किसी भी पूर्णिमा के दिन किया जा सकता है। यह विशेष रूप से ग्रहण के दौरान अधिक प्रभावशाली माना जाता है क्योंकि इस समय नकारात्मक ऊर्जा अधिक होती है और स्तोत्र पाठ उसे शांत करता है।
चंद्र ग्रहण दोष निवारण स्तोत्रम् का पाठ कैसे करना चाहिए?
इस स्तोत्र का पाठ करने से पहले स्वच्छता का ध्यान रखें। शांत और पवित्र स्थान पर बैठकर ध्यान लगाएं। किसी भी चंद्र मंत्र का जप करते हुए दीपक और अगरबत्ती जलाएं। इसके बाद स्तोत्र को उच्च स्वर में स्पष्ट उच्चारण के साथ पढ़ें। यह प्रक्रिया मन को शांत और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है।
चंद्र ग्रहण दोष निवारण स्तोत्रम् के पाठ से क्या लाभ होता है?
इस स्तोत्र के पाठ से चंद्र ग्रहण से उत्पन्न दोष, मानसिक तनाव, और नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं। यह चंद्रमा की ऊर्जा को संतुलित करता है और मानसिक शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि प्रदान करता है। साथ ही, यह आध्यात्मिक उन्नति और जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक होता है।
क्या चंद्र ग्रहण दोष निवारण स्तोत्रम् का पाठ हर कोई कर सकता है?
हाँ, इस स्तोत्र का पाठ कोई भी व्यक्ति कर सकता है, चाहे वह किसी भी आयु, धर्म, या वर्ग का हो। इसे पाठ करने के लिए विशेष प्रशिक्षण या पुरोहित की आवश्यकता नहीं होती, बस श्रद्धा और भक्ति के साथ इसे पढ़ना आवश्यक है।