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शनिवार, दिसम्बर 21, 2024

नवग्रह ध्यान स्तोत्रम् Navagraha Dhyana Stotram

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नवग्रह ध्यान स्तोत्रम् Navagraha Dhyana Stotram

नवग्रह ध्यान स्तोत्रम् एक विशेष वैदिक स्तोत्र है जो नवग्रहों की आराधना और ध्यान के लिए रचा गया है। यह स्तोत्र उन भक्तों द्वारा पाठ किया जाता है जो अपनी कुंडली में ग्रहों के अशुभ प्रभाव को दूर करना चाहते हैं या अपने जीवन में शुभता और समृद्धि की प्राप्ति करना चाहते हैं। नवग्रह (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु) ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हमारे जीवन की घटनाओं को प्रभावित करते हैं।

नवग्रह ध्यान का महत्त्व Importance of Navagraha Dhyana Stotram

नवग्रहों का हमारे जीवन पर सीधा प्रभाव होता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में ग्रह दोष होते हैं, तो जीवन में बाधाएँ, स्वास्थ्य समस्याएँ, आर्थिक संकट या अन्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। नवग्रह ध्यान स्तोत्रम् का पाठ नियमित रूप से करने से:

  1. ग्रहों का संतुलन बना रहता है।
  2. जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं।
  3. मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
  4. शुभ ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार होता है।

नवग्रह ध्यान स्तोत्रम् का पाठ विधि

  1. प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूजा स्थल को साफ करें और नवग्रहों का चित्र या यंत्र स्थापित करें।
  3. दीपक जलाकर नवग्रहों को पुष्प, अक्षत, और धूप अर्पित करें।
  4. ध्यान के साथ नवग्रह ध्यान स्तोत्रम् का पाठ करें।

नवग्रह ध्यान स्तोत्रम्

प्रत्यक्षदेवं विशदं सहस्रमरीचिभिः शोभितभूमिदेशम्।
सप्ताश्वगं सद्ध्वजहस्तमाद्यं देवं भजेऽहं मिहिरं हृदब्जे।
शङ्खप्रभमेणप्रियं शशाङ्कमीशानमौलि- स्थितमीड्यवृत्तम्।
तमीपतिं नीरजयुग्महस्तं ध्याये हृदब्जे शशिनं ग्रहेशम्।
प्रतप्तगाङ्गेयनिभं ग्रहेशं सिंहासनस्थं कमलासिहस्तम्।
सुरासुरैः पूजितपादपद्मं भौमं दयालुं हृदये स्मरामि।
सोमात्मजं हंसगतं द्विबाहुं शङ्खेन्दुरूपं ह्यसिपाशहस्तम्।
दयानिधिं भूषणभूषिताङ्गं बुधं स्मरे मानसपङ्कजेऽहम्।
तेजोमयं शक्तित्रिशूलहस्तं सुरेन्द्रज्येष्ठैः स्तुतपादपद्मम्।
मेधानिधिं हस्तिगतं द्विबाहुं गुरुं स्मरे मानसपङ्कजेऽहम्।
सन्तप्तकाञ्चननिभं द्विभुजं दयालुं पीताम्बरं धृतसरोरुहद्वन्द्वशूलम्।
क्रौञ्चासनं ह्यसुरसेवितपादपद्मं शुक्रं स्मरे द्विनयनं हृदि पङ्कजेऽहम्।
नीलाञ्जनाभं मिहिरेष्टपुत्रं ग्रहेश्वरं पाशभुजङ्गपाणिम्।
सुरासुराणां भयदं द्विबाहुं शनिं स्मरे मानसपङ्कजेऽहम्।
शीतांशुमित्रान्तक- मीड्यरूपं घोरं च वैडुर्यनिभं विबाहुम्।
त्रैलोक्यरक्षाप्रदमिष्टदं च राहुं ग्रहेन्द्रं हृदये स्मरामि।
लाङ्गुलयुक्तं भयदं जनानां कृष्णाम्बुभृत्सन्निभमेकवीरम्।
कृष्णाम्बरं शक्तित्रिशूलहस्तं केतुं भजे मानसपङ्कजेऽहम्।

सावधानियाँ

  • नवग्रह ध्यान स्तोत्र का पाठ करते समय शुद्धता और एकाग्रता बनाए रखें।
  • स्तोत्र के साथ-साथ नवग्रह के बीज मंत्रों का जाप करने से प्रभाव तीव्र होता है।
  • ग्रहों की पूजा ज्योतिषीय परामर्श के अनुसार ही करें।

नवग्रह ध्यान स्तोत्रम् के नियमित पाठ से ग्रह दोषों का निवारण होता है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार होता है।

नवग्रह ध्यान स्तोत्रम् से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs) FAQs of Navagraha Dhyana Stotram

  1. नवग्रह ध्यान स्तोत्रम् क्या है?

    नवग्रह ध्यान स्तोत्रम् एक पवित्र वैदिक मंत्र है, जिसमें नवग्रहों (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु) का ध्यान और स्तुति की जाती है। इसे नवग्रहों की कृपा पाने और उनके अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए पाठ किया जाता है।

  2. नवग्रह ध्यान स्तोत्रम् का पाठ क्यों किया जाता है?

    इसका पाठ व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि और संतुलन लाने के लिए किया जाता है। नवग्रहों के सकारात्मक प्रभाव को बढ़ाने और उनके अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए यह अत्यंत प्रभावी माना गया है।

  3. नवग्रह ध्यान स्तोत्रम् का पाठ कैसे किया जाए?

    नवग्रह ध्यान स्तोत्रम् का पाठ सुबह के समय शांत वातावरण में करना शुभ माना जाता है। पाठ करने से पहले स्नान कर लेना और स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। इसे भगवान के चित्र या मूर्ति के सामने बैठकर, दीप जलाकर श्रद्धा के साथ करना चाहिए।

  4. क्या नवग्रह ध्यान स्तोत्रम् सभी के लिए लाभकारी है?

    हाँ, नवग्रह ध्यान स्तोत्रम् सभी के लिए लाभकारी है। यह व्यक्ति के ग्रह दोषों को शांत करता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। विशेष रूप से यदि कुंडली में कोई ग्रह अशुभ स्थिति में है, तो इसका पाठ और भी लाभकारी हो सकता है।

  5. नवग्रह ध्यान स्तोत्रम् का पाठ कितने समय तक करना चाहिए?

    इसका पाठ नियमित रूप से 40 दिनों तक करने की परंपरा है, जिसे “अनुष्ठान” कहा जाता है। हालाँकि, इसे प्रतिदिन करने से भी व्यक्ति को दीर्घकालिक लाभ प्राप्त हो सकते हैं। यह व्यक्ति की श्रद्धा और समय के अनुसार निर्धारित किया जा सकता है।

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