शनि पंचकम(Shani Panchakam) एक प्रसिद्ध हिंदू स्तोत्र है, जो शनिदेव को समर्पित है। यह पांच श्लोकों का समूह है, जो शनिदेव के प्रभाव, उनके गुण, और उनके पूजन से होने वाले लाभों का वर्णन करता है। हिंदू धर्म में शनि ग्रह को न्याय का देवता माना जाता है, और यह स्तोत्र उनके प्रकोप को शांत करने, सुख-समृद्धि प्राप्त करने, और जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने के उद्देश्य से पढ़ा जाता है।
शनि पंचकम का महत्व Importance of Shani Panchakam
- शनि ग्रह का प्रभाव:
- शनि को ‘कर्मफलदाता’ कहा जाता है। यह व्यक्ति के अच्छे और बुरे कर्मों के आधार पर फल देते हैं। शनि के अशुभ प्रभाव से जीवन में कठिनाइयां, देरी, और बाधाएं आती हैं। लेकिन यदि शनि अनुकूल हो जाएं, तो वे सफलता, समृद्धि और उन्नति प्रदान करते हैं।
- शनि पंचकम का पाठ:
- शनि पंचकम का पाठ शनिदेव की कृपा प्राप्त करने और उनकी प्रतिकूलता को कम करने के लिए किया जाता है। यह स्तोत्र व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने में सहायक होता है।
- कर्म और न्याय का महत्व:
- शनिदेव व्यक्ति के कर्मों के आधार पर न्याय करते हैं। शनि पंचकम हमें यह सिखाता है कि अच्छे कर्मों का अनुसरण करें और सत्य का मार्ग अपनाएं।
शनि पंचकम का पाठ कैसे करें?
- पाठ का समय:
- शनि पंचकम का पाठ शनिवार के दिन या शनि अमावस्या को करना सबसे अधिक प्रभावी माना जाता है।
- पूजन विधि:
- शनिदेव की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
- नीले फूल और तिल का तेल अर्पित करें।
- शनि पंचकम का श्रद्धा और भक्ति से पाठ करें।
- विशेष मंत्र:
- शनि पंचकम के साथ-साथ ‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’ मंत्र का जप करने से इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।
शनि पंचकम का लाभ Benifits of Shani Panchakam
- शनि के अशुभ प्रभाव से मुक्ति।
- स्वास्थ्य, धन और समृद्धि में सुधार।
- जीवन की बाधाओं और कठिनाइयों का समाधान।
- कर्मों के प्रति जागरूकता और न्याय के प्रति आदर।
- आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक शांति।
शनि पंचकम का पाठ Shani Panchakam Paath
सर्वाधिदुःखहरणं ह्यपराजितं तं
मुख्यामरेन्द्रमहितं वरमद्वितीयम्।
अक्षोभ्यमुत्तमसुरं वरदानमार्किं
वन्दे शनैश्चरमहं नवखेटशस्तम्।
आकर्णपूर्णधनुषं ग्रहमुख्यपुत्रं
सन्मर्त्यमोक्षफलदं सुकुलोद्भवं तम्।
आत्मप्रियङ्करम- पारचिरप्रकाशं
वन्दे शनैश्चरमहं नवखेटशस्तम्।
अक्षय्यपुण्यफलदं करुणाकटाक्षं
चायुष्करं सुरवरं तिलभक्ष्यहृद्यम्।
दुष्टाटवीहुतभुजं ग्रहमप्रमेयं
वन्दे शनैश्चरमहं नवखेटशस्तम्।
ऋग्रूपिणं भवभयाऽपहघोररूपं
चोच्चस्थसत्फलकरं घटनक्रनाथम्।
आपन्निवारकमसत्यरिपुं बलाढ्यं
वन्दे शनैश्चरमहं नवखेटशस्तम्।
एनौघनाशनमनार्तिकरं पवित्रं
नीलाम्बरं सुनयनं करुणानिधिं तम्।
एश्वर्यकार्यकरणं च विशालचित्तं
वन्दे शनैश्चरमहं नवखेटशस्तम्।
शनि पंचकम पर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs of Shani Panchakam
शनि पंचकम क्या है?
शनि पंचकम एक विशेष पूजा पद्धति है जो शनि देव की कृपा प्राप्त करने और उनके अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए की जाती है। इसमें पांच दिनों तक शनि देव की उपासना की जाती है, जिसमें मंत्रोच्चारण, पूजा, दान और व्रत का पालन किया जाता है।
शनि पंचकम कब मनाया जाता है?
शनि पंचकम मुख्यतः कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी से प्रारंभ होता है और लगातार पांच दिनों तक चलता है। यह तिथियां हिंदू पंचांग के अनुसार निर्धारित होती हैं।
शनि पंचकम का धार्मिक महत्व क्या है?
शनि पंचकम का महत्व शनि ग्रह के प्रभाव को शांत करने और जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त करने के लिए है। ऐसा माना जाता है कि इस पूजा से शनि देव का आशीर्वाद मिलता है और कुंडली में शनि की स्थिति से जुड़ी समस्याएं कम होती हैं।
शनि पंचकम के दौरान कौन-कौन से नियम पालन करने चाहिए?
शनि पंचकम के दौरान निम्नलिखित नियमों का पालन करना चाहिए:
ब्रह्मचर्य का पालन करें।
सूर्यास्त के बाद भोजन न करें।
गरीबों और जरूरतमंदों को दान दें।
शनि से संबंधित वस्त्र (नीला या काला), तेल और अनाज का दान करें।
क्रोध और झूठ से बचें।शनि पंचकम में कौन-कौन से मंत्रों का जाप किया जाता है?
शनि पंचकम के दौरान निम्न मंत्रों का जाप किया जाता है:
“ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः”
“नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायामार्तण्डसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम्।”
इन मंत्रों का नियमित जाप शनि देव की कृपा प्राप्त करने में सहायक होता है।