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बुधवार, नवम्बर 5, 2025

हे प्रभु तुझारी कीर्ति को गाये ।।

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हे प्रभु तुम्हारी कीर्ति को गायें न क्या करें। 
चरणों में सदा शीश झुकायें न क्यों करें । हे प्रभु० ॥

झूठा जगत का नाता है हग खोल लख लिया । 
तुमको भी अगर अपना बनायें न क्या करें" । हे प्रभु० ॥
 
सुत नारि मात भ्रात ये मतलब के हैं सगे । 
फिर भी भजन में चित्त लगायें न क्या करें । हे प्रभु० ॥

यश गायके जब वेद थके भेद न पाया । 
तब हम तुम्हें अभेद बतायें न क्या करें । हे प्रभु० ॥

सब जग के कर्ता, हर्ता दुःख आपही विभो । 
"क्यों मनीलाल तुमकोमी ध्याये न क्या करे । हे प्रभु० ॥

हे प्रभु तुझारी कीर्ति को गाये न क्या करे ॥


Bhajan By : मनीलाल (Ramayan Tarj RadheSyam)
Image Credit: artiswell

टिका : यह प्रार्थना रामयण तर्ज राधेश्याम - भाग २६ में शे लिखी गयी छे. इसका हेतु केवल ज्ञान प्राप्ति के लिए हें.

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