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बुधवार, नवम्बर 5, 2025

प्रभु मैं नहिं नाव चलाबौं तब पद रज Prabhu Main Nahin Naav Chalaabaun

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प्रभु मैं नहिं नाव चलाबौं तब पद रज

Prabhu Main Nahin Naav Chalaabaun

प्रभु ! मैं नहिं नाव चलाबौं । तब पद-रज नर-करनि मूरि प्रभु ! महिमा अमित कहाँ लगि गायौं ?

पाहन छुबत नारि भइ पावनि, काठ पुरातनकी यह नावौं । परसत रज मुनि-नारि बनै यह, मैं पुनि असि नौका कहूँ पावौं ।॥

मैं अति दीन-दरिद्र, कुटुंब बहु, सबहिं निभावौं । यहि नौकातें जो यह उद्दे, जीविका बिनसै, केहि बिधि पुनि परिवार चलावौं ।॥

अनुमति होइ तो लेइ कठौता, सुरसरि-जल भरि प्रभुपहुँ लावौं । पद पखारि, रज घोइ भलीबिधि, करि चरनामृत पाप नसावौं ।॥

प्रभु-चरननकी सपथ नाथ ! मैं अन्य भाँति नहिं नाव चढ़ाबौं । लखन रिसाइ तीर जो मारै, निबल, पकरि पद प्रान गवावौँ ।॥

प्रेम भरे, अति सरल-सुहावन, अटपट बचन सुने रघुरावौं । कश्नानिधि हँसि अनुमति दीन्ही, केवट कह्यो, पार लै जावौं ।॥

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